धर्म अध्यात्मक के नाम पर विश्व में काफी संस्थाएं काम का रही हैं। एक संत निरंकारी मंडल के नाम से संस्था है जिसके द्वारा संत निरंकारी मिशन आध्यात्मिक जागृति प्रदान करने के लिए विश्व के विभिन्न राष्ट्रों में संदेश प्रसारित करता है। इसमें ऐसा खास क्या है जो और जगहों पर नहीं या दूसरी संस्थाओं में नहीं इसको देखने के लिए हमने तीन दिन तक निरंकारी संत समागम में अपना समय लगाया और लोगों से जानने का प्रयास किया।
यह एक शोध कार्य था जिसमें हम मानवता के नाम, ब्रह्म का संदेश देने, विशाल मानव परिवार एक मंच पर होने। इसमें भाषा मेल नहीं खाती, पहरावा भी अलग है, तौर-तरीके, खान, पान, रहन, सहन, सब भिन्न है। एक समानता थी तो श्रद्धा की, प्रेम और भाईचारे की, समर्पण की, जिसमें पावनता, पवित्रता, विनम्रता, विनयशीलता की, एक दूसरे के प्रति स्नेह और सहयोग, परोपकार की, सज्जनता, शालीनता की झलक देखने को मिली, यहां पर दिव्यों गुणों से युक्त व्यक्तित्व सृजित होने की समानता नजर आई। निरंकारी बाबा हरदेव सिंह महाराज के दिव्य संदेश के साथ पहले दिन विश्व के नाम संदेश के साथ निरंकारी संत समागम आरंभ हो गया। तीन दिनों तक चले इस मानवता के महाकुंभ में विश्वि के विभिन्न राष्ट्रों से धर्म प्रेमी शामिल हुए। यहां पर आध्यात्मिकता संदेश लेने और अपने श्रद्धेय गुरुदेव हरदेव सिंह महाराज, निरंकारी राजमाता कुलवंत कौर, पूज्यमाता सविन्द्र कौर जी के दर्शन करने के लिए आए थे। लोगों की मान्यता थी कि उनके गुरुदेव हरदेव के दिव्य संदेश उनके लिए सबसे ज्यादा अनमोल हैं। वे तो इन्हें सुनने के लिए आए थे। मेरे जेहन में एक सवाल था कि इन प्रवचनों को तो टीवी, रेडियो, आडियो, वीडियों के माध्यम से सुना जा सकता था लेकिन सभी को लाखों की संख्या में यहां पर आने क्या जरुरत थी।
ज्यादातर निरंकारी मिशन के श्रद्धालुओं ने जवाब दिया कि सृष्टि के अंदर वैर, नफरत, ईष्या के साथ लोग अपने स्वार्थ में दूसरों को बरबाद करने लग रहे हैं, यहां लोगों को आबाद किया जा रहा है। एक साथ यह बताना चाहते हैं कि सृष्टि प्रभु सृष्टा की बनाई है। इसको चलाने वाला और सृष्टा से मिलाने वाला इसका जानकार सतगुरु है। दुनिया में नंबर का गेम है। हर जगह पर यह बताया कि हमारा बहुमत है। हम सभी मिलकर यह संदेश देना चाहते हैं कि मानव परिवार दिव्य गुणों से अलंकृत विशाल रुप में है। दुनिया में सिर्फ बुराई का विस्तार नहीं है। वरण इंसानियत दिव्य गुणों से भरपूर विशाल रुप में विधमान है। इन बातों को सुनने के बाद मुझे याद आया कि कुछ साल पहले फ्रांस के भविष्यदृष्टा नेस्त्रादेम्स ने ढाई हजार भविष्य वाणियां की थी उनमें से एक भविष्य वाणी की थी भारत की धरती से विश्व के नाम धर्म संदेश प्रसारित होगा। जिसमें मानवता, एकता, अखंडता, विश्व बंधुत्व-भाईचारे का संदेश आध्यात्मिकता के रुप में दिया जाना कहीं उसी भविष्य वाणी को सार्थक तो नहीं कर रहा है। यह संत समागम भौतिक युग में दिव्य संदेश दिव्य शक्ति का संचार करता प्रतीत हुआ।
64वें निरंकारी संत समागम में हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, मराठी, बंगाली, तेलगू, डोगरी, हरियाणवी, राजस्थानी, पंजाबी आदि अनेकों भाषाओं के वक्ताओं ने अपनी बात कही। प्रेम दया से भरा जीवन जीना है। मानव को केवल मानव बनना काफी नहीं मानव वाले कर्म करने की जरुरत है। बदलते परिवेश में सब कुछ बदला है लेकिन भौतिक उपलब्धी प्राप्त करने वाले इंसान को निरंकारी बाबा ने एक संदेश दे दिया कि मानव अपनी पहचान सुन्दर कर्म से बना ले। एक नजरिया, एक विचार, एक सोच, एक विजन जो यहां दिया गया हैं। सुन्दर भावनाओं से युक्त चिंतन, मनन, मंथन करने की स्वस्थ परंपरा को जीवंत किया है। यही बात इस मिशन को दूसरी संस्थाओं से अलग करती है। उत्पाद के दौर में निरंकारी मिशन निरंकारी का कारोबार करने वाली संस्था है। यह ऐसा पोडेक्ट है जो अपने आपमें चिंतनशीलता को धार देता है। दूसरों से इसको अलग करता है। यह अद्वितीय, आलौकिक और अविस्मरणीय है। जिसे जो भी लेता है वही खुद को धन्य समझ लेता है। इसे लेने वाली कभी घाटे में नहीं रहता बल्कि सदा खुद को लाभ में पाता है। भाग्यशाली मानता है। ऐसा लगाता है निरंकारी बाबा हरदेव सिंह महाराज एक महान संत है या कोई पैगंबर, अवतार या फिर दिव्य विभूति है जो भी हैं इनके चेहरे के नूर को देखने से आभामंडल से ओजस्वी तेजस्वी नूरानी चेहरा अपनी ओर आकर्षित करता इसलिए यह महान संत सृष्टि में कुछ खास करेगा ऐसा इनकी दिव्य वाणी से लगता है।
यह एक शोध कार्य था जिसमें हम मानवता के नाम, ब्रह्म का संदेश देने, विशाल मानव परिवार एक मंच पर होने। इसमें भाषा मेल नहीं खाती, पहरावा भी अलग है, तौर-तरीके, खान, पान, रहन, सहन, सब भिन्न है। एक समानता थी तो श्रद्धा की, प्रेम और भाईचारे की, समर्पण की, जिसमें पावनता, पवित्रता, विनम्रता, विनयशीलता की, एक दूसरे के प्रति स्नेह और सहयोग, परोपकार की, सज्जनता, शालीनता की झलक देखने को मिली, यहां पर दिव्यों गुणों से युक्त व्यक्तित्व सृजित होने की समानता नजर आई। निरंकारी बाबा हरदेव सिंह महाराज के दिव्य संदेश के साथ पहले दिन विश्व के नाम संदेश के साथ निरंकारी संत समागम आरंभ हो गया। तीन दिनों तक चले इस मानवता के महाकुंभ में विश्वि के विभिन्न राष्ट्रों से धर्म प्रेमी शामिल हुए। यहां पर आध्यात्मिकता संदेश लेने और अपने श्रद्धेय गुरुदेव हरदेव सिंह महाराज, निरंकारी राजमाता कुलवंत कौर, पूज्यमाता सविन्द्र कौर जी के दर्शन करने के लिए आए थे। लोगों की मान्यता थी कि उनके गुरुदेव हरदेव के दिव्य संदेश उनके लिए सबसे ज्यादा अनमोल हैं। वे तो इन्हें सुनने के लिए आए थे। मेरे जेहन में एक सवाल था कि इन प्रवचनों को तो टीवी, रेडियो, आडियो, वीडियों के माध्यम से सुना जा सकता था लेकिन सभी को लाखों की संख्या में यहां पर आने क्या जरुरत थी।
ज्यादातर निरंकारी मिशन के श्रद्धालुओं ने जवाब दिया कि सृष्टि के अंदर वैर, नफरत, ईष्या के साथ लोग अपने स्वार्थ में दूसरों को बरबाद करने लग रहे हैं, यहां लोगों को आबाद किया जा रहा है। एक साथ यह बताना चाहते हैं कि सृष्टि प्रभु सृष्टा की बनाई है। इसको चलाने वाला और सृष्टा से मिलाने वाला इसका जानकार सतगुरु है। दुनिया में नंबर का गेम है। हर जगह पर यह बताया कि हमारा बहुमत है। हम सभी मिलकर यह संदेश देना चाहते हैं कि मानव परिवार दिव्य गुणों से अलंकृत विशाल रुप में है। दुनिया में सिर्फ बुराई का विस्तार नहीं है। वरण इंसानियत दिव्य गुणों से भरपूर विशाल रुप में विधमान है। इन बातों को सुनने के बाद मुझे याद आया कि कुछ साल पहले फ्रांस के भविष्यदृष्टा नेस्त्रादेम्स ने ढाई हजार भविष्य वाणियां की थी उनमें से एक भविष्य वाणी की थी भारत की धरती से विश्व के नाम धर्म संदेश प्रसारित होगा। जिसमें मानवता, एकता, अखंडता, विश्व बंधुत्व-भाईचारे का संदेश आध्यात्मिकता के रुप में दिया जाना कहीं उसी भविष्य वाणी को सार्थक तो नहीं कर रहा है। यह संत समागम भौतिक युग में दिव्य संदेश दिव्य शक्ति का संचार करता प्रतीत हुआ।
64वें निरंकारी संत समागम में हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, मराठी, बंगाली, तेलगू, डोगरी, हरियाणवी, राजस्थानी, पंजाबी आदि अनेकों भाषाओं के वक्ताओं ने अपनी बात कही। प्रेम दया से भरा जीवन जीना है। मानव को केवल मानव बनना काफी नहीं मानव वाले कर्म करने की जरुरत है। बदलते परिवेश में सब कुछ बदला है लेकिन भौतिक उपलब्धी प्राप्त करने वाले इंसान को निरंकारी बाबा ने एक संदेश दे दिया कि मानव अपनी पहचान सुन्दर कर्म से बना ले। एक नजरिया, एक विचार, एक सोच, एक विजन जो यहां दिया गया हैं। सुन्दर भावनाओं से युक्त चिंतन, मनन, मंथन करने की स्वस्थ परंपरा को जीवंत किया है। यही बात इस मिशन को दूसरी संस्थाओं से अलग करती है। उत्पाद के दौर में निरंकारी मिशन निरंकारी का कारोबार करने वाली संस्था है। यह ऐसा पोडेक्ट है जो अपने आपमें चिंतनशीलता को धार देता है। दूसरों से इसको अलग करता है। यह अद्वितीय, आलौकिक और अविस्मरणीय है। जिसे जो भी लेता है वही खुद को धन्य समझ लेता है। इसे लेने वाली कभी घाटे में नहीं रहता बल्कि सदा खुद को लाभ में पाता है। भाग्यशाली मानता है। ऐसा लगाता है निरंकारी बाबा हरदेव सिंह महाराज एक महान संत है या कोई पैगंबर, अवतार या फिर दिव्य विभूति है जो भी हैं इनके चेहरे के नूर को देखने से आभामंडल से ओजस्वी तेजस्वी नूरानी चेहरा अपनी ओर आकर्षित करता इसलिए यह महान संत सृष्टि में कुछ खास करेगा ऐसा इनकी दिव्य वाणी से लगता है।
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